बुधवार, 16 अप्रैल 2008

कवियों पर एक कविता .......

एक बार साब हाल ही मे बहुत दिनों के बाद कवि सम्मेलन मे जाने का मौका लगा।
वहा से आने के बाद मैंने जो कुछ अनुभूति की उसे ही शब्दों मे पिरोया है
ये पत्रकारिता का धर्म ही एसा है जहा जावो कुछ ले कर आओ ............
कविता एसी है -------
कवि तो हम बन गए
दोस्तो यारो मे वाहवाही लूट कर
अभी बने ही थे कवि,
तब तक एक मंच पर बुला दिया गया कभी
साब बिषय तो था नही , नाम के थे कवि
पर किसको बताए
इतनी भीड़ मे किसको -किसको समझाए
इतने मे एक सरदारजी
मंच पर मुस्कुराए
मेरी तो जैसे बांछे खिली
फ़िर क्या था मैंने भी जमकर उन पर ब्यंग्बाद चलाए
फ़िर भी सरदारजी अपनी मुस्कान नही घटाए
मन ने कहा वाह सरदारजी कुछ समय तो हमारा खपाए
अब ज्यादा नही झेला सकता था
नही तो जनता से लात जूते भी खा सकता था
जनता की रंगत देखकर
मन ने कहा -बिषय बदल ले गुरु
नही तो जनता हो जायेगी शुरू
तब तक एक साहब आए
और लपककर हमारी तरफ़ कैमरा भिडाये
मन से दाद निकली वाह!गुरु क्या खूब समय पर आए
और हमारा काम चलाये
तो साहब दूसरा विषय मिला हमे
मुख के कपट खोले हमने
अब मीडिया पर जमकर बाद चलाये
बोले -ये तो साप-बिच्छू दुन्ड़ते है
लगता है किसी ने भेजा था संदेश की
आज मंच पर कुछ लोग आने वाले है
आपनी -आपनी मदारी दिखाने वाले है
हो सकता है मिल जाए कोई एक्सक्लूसिव
इसलिए इन्होने भी आकर उपस्थिति दर्ज करा दी
आज ये साप -बिच्छू नही दिखायेंगे
कवियों को आसमान पर चदायेंगे
कैमरा लगायेंगे जिसे देखकर कवि भी खूब चिलायेंगे
आप्ना जलवा दिखायेंगे
मीडिया इन्हे कम दिखाता है
इसकी भड़ास ब्यंग कर - करके निकालते है
फिर भी देखो कितना अच्छा है
मीडिया अभी भी सच्चा है
फिर भी इनकी कविता लोगों तक पहुँचाता है
और इनकी ख्याति बढाता है
फिर भी इनको रहती मलाल है
ऐश्वर्या -अभिषेक सा कवरेज़ हम क्यों नहीं पाते
सारी मीडिया पर हम क्यों नही छा जातें
हमारी भी होती बल्ले -बल्ले
तब तो हम मीडिया की जय बोलें

2 टिप्‍पणियां:

Siddharth Kumar ने कहा…

kavi ki kya kalpana hai....
Bahut Badhiya

Deepak Gautam ने कहा…

wah ji neta ji keep it up your aakorsh veri nice