कोई पागल समझता है
कोई दीवाना कहता है
मगर धरती की बेचैनी तो बस अम्बर समझता है
मैं तुमसे दूर कैसा हू
तू मुझसे दूर कैसी है
ये मेरा दिल समझता है
ये तेरा दिल समझता है
मेरा दिल बर्बाद करके वो
आबाद रहतें है
कोई कल कह रहा था कि
अब वो घर के पास रहतें है
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1 टिप्पणी:
Yah to "Aakrosh" nahi "Prem" hai.
Good
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