मंगलवार, 26 अगस्त 2008

अब बस :कब तक जलेगा धरती का स्वर्ग


आज के हिंदुस्तान अख़बार में छपी जम्मू -कश्मीर की ख़बर देख कर दिल से बरबस ही एक आवाज आई कि अब बहुत हो चुका ...बस करो ...जिस तरह पिछले महीने से लेकर अब तक जम्मू कश्मीर एक छोटे से विवाद को लेकर धधक रहा है ....वह कही से कही तक देशहित में उचित नही है ...अब से भी इसको नियंत्रित नही किया गया तो अंजाम और भी घातक हो सकते है ...जिस तरह से एक मामूली सी घटना ने अलगाववादियों को मौका दे दिया वह वाकई आश्चर्य जनक है ...पहले जो मांगे दबी जुबान उठा करती थी अब वो खुलकर सामने आ गई है ....जिन नेताओ को भारत सरकार वफादार मानती थी वही नेता उन अलगाववादियों की मांगों को न केवल जायज ठहरा रहे है बल्कि मुखरता से उसका नेतृत्व भी कर रहे है ... मामला हाथ से निकला न होता यदि राजनीती आदे नही आती ....बात बिगड़ी केन्द्र सरकार कि राजनीती करो निति के कारण केन्द्र कि यूपीए सरकार अपने राजनितिक हितों को त्याग कर रास्ट्रीय हित कि सोच लेती लेकिन उसने इसकी अनदेखी की....और इसका खामियाजा अब भुगतना पड़ रहा है ....कि आन्दोलन थमने का नाम नही ले रहा है ...सेना कि तैनाती के बावजूद भी धरती का स्वर्ग जल रहा है ।
बीन मांगी बछिया पर इतना बवाल -एक तरफ़ अलगाववादी है तो जम्मू में श्राइन बोर्ड के जमीन कि मांग को लेकर उत्पात मचाने वाले ....इन लोगो कि भूमिका भी इस पुरे प्रकरण में विवादों को हवा देने वाली ही रही यदि इन लोगो ने शुरुआत नही कि होती तो ये आग इतनी नही फैली होती ...इन लोगो ने ही जमीन कि मांग को लेकर संघर्ष शुरू किया था ...संघर्ष समिति के अध्यक्ष लीलाकरण ने अपने एक इंटरव्यू में ये कहा है कि ...वह जमीन सरकार से किसी ने मांगी नही थी उसने ख़ुद दी थी और ख़ुद से ही वापस ले ली....हमारा विरोध यह है कि जमीन दे कर वापस लिया जाना हमारी अस्मिता पर खतरा है ....

जरा सोचिये जो जमीन आपकी नही है ...एसे ही आपको सौपी जा रही थी ....उसे वापस ही ले ली गई तो कौन सी अप्रत्यासित घटना हो गई जिसके लिए पुरे देश को साम्प्रदायिकता कि आग में झोक दिया गया ...आपने एक कहावत सुनी होगी कि दान कि बछिया के डाट नही गिने जाते ....लेकिन यहाँ तो स्थिति ये है कि एक एसी बछिया के लिए बवाल मचा है जोन तो पुरी तरह से दान में मिली थी और नही उसे किसी ने दिया था ......


4 टिप्‍पणियां:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

आप की राय से इत्तफाक रखते हैं।

Udan Tashtari ने कहा…

सही है.

दीपान्शु गोयल ने कहा…

आपकी राय का समर्थम नहीं कर सकता। ये देश हम सब का है और उसके साथ ही कश्मीर की खूबसूरत धरती भी हमारी है सिर्फ कश्मीर की नहीं। अलगावाद के डर से ही हमारी निपुसंक सरकारे आज तक चुप बैठी रहीं जिसका परिणाम ये है कि लाल चौक में सरेआम पाकिस्तान समर्थन के नारे लगते हैं पाकिस्तानी झंडे फहराये जाते हैं और किसी का कुछ नहीं बिगडता है। आज जम्मू से जो आवाज उठी है वो सिर्फ जमीन के लिए नहीं है बल्कि उस तुष्टिकरण की नीति के खिलाफ है जो इस देश में अपनाई जाती रही है। ये देश सिर्फ भारतमाता की जय बोलने वाले लोगों का ही हो सकता है किसी पाकिस्तान के समर्थक का नहीं।

Sushil Gangwar ने कहा…

Hello
Sir

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sushil Gangwar
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