आज एक जगह विकेंद्रीकरण कि चर्चा हो रही थी साथियों ने कहा कि विकेंद्रीकरण के कई फायदे हुए है मुझे भी लगा कि फायदे तो हुए है अब घुस की कमाई एक जगह तक ही सीमित नही रहती है अब मजाल कि कोई अकेला घुस की कमाई खा जाए अब बकायदा उसके हिस्से निर्धारित किए गए है ये विकेंद्रीकरण भी दो स्तरों पर लागु होता है एक राजनितिक और दूसरा प्रसश्निक अब घुस कि राशी केंद्रीकृत नही रहती है दोनों जगहों पर समान रूप मी मिल बात कर खाई जाती है
अब विकेंद्रीकरण का प्रभाव गावों से ही देखने को मिलने लगा है इंदिरा आवास के लिये मिलने वाली रकम क लिए कुछ गाव के प्रधान को तो कुछ ग्राम सेवक को देनी पड़ती हैविकेंद्रीकरण तो हुआ है इस नही है अब सवी कम बांटें हुए है ये तय है कि किस कामइ कहा कितना चदावा चदाना है गाव से वसूली रासी ब्लाक पेर बिदेओ क पास टाक पहुंचती है है न विकेंद्रीकरण
यह सिलसिला यहीं नही रुकता बल्कि चलता रहता है यह राशी क्डियो टाक पहुचती है फ़िर उसमे से कुछ निर्धारित रकम रूपी हिस्सा जिलाधिकारी टाक पहुँचता है जिसमे से मंद्लायुक्त तक पहुँचने कि जिम्मेदारी जिलाधिकारी कि हटी है मंद्लायुक्त व आपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए मुख्य सचिव टाक उसका हिस्सा पहुँचा देता है सीएस भी सीएम तक पहुँचा देता है कितनी ईमानदारी का माहौल तैयार किया है विकेंद्रीकरण ने कोई भी आकेला नही खाता अब सब मिल बाँट के खाते है
ये तो उदाहरण था बस एक छोटी सी योजना का लेकिन विकेंद्रीकरण का प्रभाव देश भर मी चाल रही सभी योजनाओ पर देखने को मिल रहा है अब तो इसका कुछ कुछ प्रभाव ग्लोवल स्तर पर देखने को मिलने लगा है क्योकि अब विश्व मी अर्ब्पतियो कि तादाद मी भारत भी पीछे नही है
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1 टिप्पणी:
kahan hain shriman milte hi nahi mera blog dekhiyega
http://garamtawa.blogspot.com/
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