बुधवार, 7 मई 2008

विकेंद्रीकरण तो हुआ है

आज एक जगह विकेंद्रीकरण कि चर्चा हो रही थी साथियों ने कहा कि विकेंद्रीकरण के कई फायदे हुए है मुझे भी लगा कि फायदे तो हुए है अब घुस की कमाई एक जगह तक ही सीमित नही रहती है अब मजाल कि कोई अकेला घुस की कमाई खा जाए अब बकायदा उसके हिस्से निर्धारित किए गए है ये विकेंद्रीकरण भी दो स्तरों पर लागु होता है एक राजनितिक और दूसरा प्रसश्निक अब घुस कि राशी केंद्रीकृत नही रहती है दोनों जगहों पर समान रूप मी मिल बात कर खाई जाती है
अब विकेंद्रीकरण का प्रभाव गावों से ही देखने को मिलने लगा है इंदिरा आवास के लिये मिलने वाली रकम क लिए कुछ गाव के प्रधान को तो कुछ ग्राम सेवक को देनी पड़ती हैविकेंद्रीकरण तो हुआ है इस नही है अब सवी कम बांटें हुए है ये तय है कि किस कामइ कहा कितना चदावा चदाना है गाव से वसूली रासी ब्लाक पेर बिदेओ क पास टाक पहुंचती है है न विकेंद्रीकरण

यह सिलसिला यहीं नही रुकता बल्कि चलता रहता है यह राशी क्डियो टाक पहुचती है फ़िर उसमे से कुछ निर्धारित रकम रूपी हिस्सा जिलाधिकारी टाक पहुँचता है जिसमे से मंद्लायुक्त तक पहुँचने कि जिम्मेदारी जिलाधिकारी कि हटी है मंद्लायुक्त व आपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए मुख्य सचिव टाक उसका हिस्सा पहुँचा देता है सीएस भी सीएम तक पहुँचा देता है कितनी ईमानदारी का माहौल तैयार किया है विकेंद्रीकरण ने कोई भी आकेला नही खाता अब सब मिल बाँट के खाते है

ये तो उदाहरण था बस एक छोटी सी योजना का लेकिन विकेंद्रीकरण का प्रभाव देश भर मी चाल रही सभी योजनाओ पर देखने को मिल रहा है अब तो इसका कुछ कुछ प्रभाव ग्लोवल स्तर पर देखने को मिलने लगा है क्योकि अब विश्व मी अर्ब्पतियो कि तादाद मी भारत भी पीछे नही है

1 टिप्पणी:

MAYUR ने कहा…

kahan hain shriman milte hi nahi mera blog dekhiyega

http://garamtawa.blogspot.com/