बुधवार, 3 दिसंबर 2008

ये टीआरपी किसी दिन पुरा देश उद्वाएगी

जिस तरह इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने मुंबई बम धमाके की कवरेज की उसे देख कर ये कहना अतिशयोक्ति नही होगी की टीवी चैनल्स की टीआरपी की भूख किसी रोज देश ही उडवा डालेगी ......जी हां मुंबई की घटना को इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने टीआरपी के चक्कर में एस कदर दिखा डाला की आतंकवादी टीवी देख कर ही निशाने दागने लगे ...जाने अंजाने में मीडिया ने आतंकवादियों की मदद कर डाली...अब भी वक्त है मीडिया को कम से कम देश हित के मुद्दों का ख्याल करना चाहिए ...और जहा देश हित की बात आए वहा तो कम से कम संवेदनशीलता दिखानी चाहिए .....मीडिया को समझना चाहिए की आप ये सी चीजे दिखा कर कही उनकी मदद तो नही कर रहे ....आप जानते है की ताज देश का जन मन होटल है वहा टीवी की सुविधा भी है एसे में मीडिया के लोगो ने तनिक भी ये विचार नही किया ये कवरेज आतंकवादी भी देख रहे होंगे ....शर्मनाक इस्थिति तो तब हो गई जब इसकी आलोचना के बाद दो एक चैनल्स के संपादको ने ये कह डाला की टीवी में कैसे कम होता है ये लोग क्या जाने ....लेकिन उन्होंने ये नही सोचा की देश के बारे में सोचना उनकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए......देश के बड़े मीडिया समूहों को इस ओअर ध्यान देना चाहिए......

3 टिप्‍पणियां:

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

INAKO INAKEE ISEE BHOOKH SE MATALAB HAI

समयचक्र ने कहा…

देश के बारे में सोचना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.

महुवा ने कहा…

शायद आपको ये पता नहीं कि सिर्फ एक चैनल को छोड़कर कोई भी चैनल----लाइव----नहीं दिखा रहा था...और इस घटना को अगर टीआरपी से -जोड़कर ना लें तो ज्यादा अच्छा होगा क्योंकि टीआरपी लाने के पचास हज़ार फंडे और भी हैं सिर्फ मासूमों का खून दिखाना और देश पर हमले को बाजार समझना आप जैसे लोगों की नासमझी है...जो कुछ भी कवरेज मीडिया ने किया उससे अंदर फर्क नहीं पड़ा क्योंकि पूरा ऑपरेशन होटल के अंदर चल रहा था और मीडिया ताज से कम से कम पांचसौ मीटर की दूरी पर था...और ये सिर्फ टीआरपी के लिए नहीं था शायद आपको पता नहीं कि इस कवरेज के दौरान कितने सारे रिपोर्टर्स ने अपनी जान पर खेलकर उस आतंक को आप सब तक पहुंचाया है....भगवान का शुक्र है कि कोई कैजुयलिटी नहीं हूई वर्ना अभी ब्लॉग्स पर सिर्फ मीडिया का ही महिमामंडन हो रहा होता....