मंगलवार, 28 अक्तूबर 2008

दीपावली:दिल नही,दीप जलाये


दीपावली एक खास पर्व है हर बार ये पर्व आता है दीप जलते है घर द्वार शहर महानगर संसार सर कुछ जगमगा जाता है चारो ओर उजाला हो जाता है बहुत गर्व के साथ लाखो के पठाखे फोड़ कर हम खुशी का इजहार कर लेते है हम कभी भी अपने अन्तरमन की ज्योति को जलाने की कोशिश नही करते हम बर्षों से दीपावली मानते है लेकिन वास्तव में आज तक हम दीपावली का वास्तविक अर्थ नही समझ पाए हैदीपावली केवल इस लिए नही है की हम सिर्फ़ दीप जलाये मीठा खाए और पठाखे जलाये आज जरूरत है एक संकल्प की जो केवल दीप जलाने का नही बल्कि दिलो को जोड़ने का भी हो समाज में उठ रही नफ़रत की दीवारों को ख़त्म करने का संकल्प लेना होगा,आज ये भी जरूरत है की हम सबकी समृद्धि की कामना करे क्योकि जब सब समृद्ध होंगे तभी हमारी समृद्धि भी होगी कई लोग लोगो को दिखने के लिए दीपावली मानते है उनके दिलो को जलाने के लिए दीप जलाते है इसलिए इस बार लोगो के दिल नही दीप जलाये साथ ही अपने दिलों में दबे अंधकार को भी भागने का प्रयास करे

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

दीपावली के इस शुभ अवसर पर आप और आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

समय चक्र ने कहा…

दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ

kripya ward verification hata den.